रोमियों 10:4 (Romans 10-4)
मसीह व्यवस्था की पराकाष्ठा है, ताकि हर एक विश्वास करनेवाले को धार्मिकता मिले। — रोमियों 10:4 (Romans 10-4)

आज के वचन पर आत्मचिंतन – रोमियों 10:4 (Romans 10-4)
मसीह व्यवस्था की पूर्ति है (मोज़ेक व्यवस्था का लक्ष्य और गंतव्य) और व्यवस्था का अंत है जिसके माध्यम से हमें धर्मी घोषित किया जाता है। अब हमें हमारे व्यवस्था-पालन के आधार पर नहीं आंका जाता। सच है, हमारे लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मानक परमेश्वर की धार्मिकता है, लेकिन यह एक ऐसा मानक है जिसे यीशु हमारे लिए और हमारे लिए पापबलि बनकर और हमें बदलने के लिए सशक्त बनाने के लिए आत्मा को भेजकर पूरा करता है।
यीशु के उद्धार कार्य और उस पर हमारे विश्वास का अर्थ है कि परमेश्वर हमें धर्मी घोषित कर सकता है जबकि हम अपने जीवन में और अधिक धर्मी बनने का प्रयास करते हुए हमें बदल भी सकता है। व्यवस्था का लक्ष्य पूरा हो गया है और यीशु में इसकी पूर्णता मिलती है क्योंकि उसका उद्धार कार्य हमें छुड़ाता है, और पवित्र आत्मा हमें हमारे प्रभु जैसा बनने के लिए बदल देता है ( 2 कुरिन्थियों 3:18 )।
मेरी प्रार्थना…
प्रिय पिता, मैं विश्वास करता हूँ कि यीशु आपका प्रिय पुत्र है, जिसे मेरा उद्धारकर्ता बनने के लिए भेजा गया, मेरे पापों के लिए क्रूस पर चढ़ाया गया, और मेरी जीत के लिए मृतकों में से जी उठा। मैं अपने उद्धार के लिए उस पर भरोसा करता हूँ और आपके अनुग्रह के अविश्वसनीय उपहार के लिए आपका धन्यवाद करता हूँ। यीशु मसीह के नाम पर, मेरे प्रभु । आमीन।
इस पोस्ट को पढ़ने के बाद, आशा है कि आप रोमियों 10:4 (Romans 10-4) के संदेश को अपने जीवन में लागू कर पाएंगे और दूसरों के साथ परमेश्वर के वचन को साझा करेंगे।