यहोवा की यह वाणी है, “मेरे विचार तुम्हारे विचार नहीं हैं, न ही तुम्हारे मार्ग मेरे मार्ग हैं। जैसे आकाश पृथ्वी से ऊँचा है, वैसे ही मेरे मार्ग तुम्हारे मार्गों से और मेरे विचार तुम्हारे विचारों से ऊँचे हैं।” — यशायाह 55:8-9 (Isaiah 55-8-9)

यशायाह 55:8-9 (Isaiah 55-8-9) का अर्थ
चाहे हम परमेश्वर की अद्भुतता को समझने की कितनी भी कोशिश करें, वह अभी भी परमेश्वर है, और हम नहीं हैं। हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि मूल, और अभी भी प्राथमिक, पाप परमेश्वर के बराबर बनने की कोशिश कर रहा था। हमें परमेश्वर को जानना है, और हमें परमेश्वर के बारे में जानने की कोशिश करनी चाहिए, लेकिन हम कभी भी उसके बारे में पूरी तरह से नहीं जान सकते या उसके बराबर नहीं बन सकते। परमेश्वर के बराबर बनने की कोशिश करना, और परमेश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा और भय की भावना को खोना, सभी पापों के मूल में है।
जबकि हमें परमेश्वर के धार्मिक चरित्र, अनुग्रहपूर्ण करुणा, और वफादार प्रेममयी दया को धारण करने की कोशिश करनी चाहिए, विनम्रता में हम यह पहचानते हैं कि हम अपने आप ही उसकी महिमा, धार्मिकता, बुद्धि, या पवित्रता के करीब पहुँचते हैं। यह रोमांचक और निराशाजनक दोनों है। लेकिन, वादा बना हुआ है कि एक दिन हम उसके जैसे बनेंगे और उसे वैसा ही देखेंगे जैसा वह है ( 1 यूहन्ना 3:1-3 ) और पूरी तरह से जानेंगे जैसे हम पूरी तरह से जाने जाते हैं ( 1 कुरिन्थियों 13:11-12 )।
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