पूरी तरह से नम्र और कोमल बनो; धीरज रखो, और प्रेम से एक दूसरे की सहनशीलता रखो। — इफिसियों 4:2 (Ephesians 4-2)

इफिसियों 4:2 (Ephesians 4-2)का अर्थ
“तुम्हारा मतलब है कि मुझे यह सब सहना होगा!?” जीवन में ऐसे लोग हैं जिनके बारे में यह कहावत सच है: “वे ही वह धैर्य हैं जिनसे हमें अपना मोती गढ़ना है।” लेकिन इस चुनौती में हमारा सबसे बड़ा उदाहरण यीशु है। सोचिए कि उसे अपने 12 शिष्यों के साथ क्या-क्या सहना पड़ा। याद कीजिए कि उनके साथ उनका धैर्य और सौम्यता कितनी परिवर्तनकारी थी। क्या हम इससे कम करने की हिम्मत कर सकते हैं?
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