स्वर्ग में मेरे पास तेरे सिवा और कौन है? और पृथ्वी पर तेरे सिवा मुझे और कुछ नहीं चाहिए। मेरा शरीर और मेरा हृदय भले ही हार मान जाए, परन्तु परमेश्वर मेरे हृदय की शक्ति और सदाकाल का मेरा भाग है। — भजन संहिता 73:25-26 (Psalm 73-25-26)

भजन संहिता 73:25-26 (Psalm 73-25-26) का अर्थ
क्या वास्तव में हमें संतुष्ट और बनाए रख सकता है? शायद इस प्रश्न का उत्तर देने का सबसे अच्छा तरीका किसी और से पूछना है: जब हमारे शरीर को मृत्यु के समय चुपचाप कब्र में रख दिया जाता है, तो हम क्या रख सकते हैं? केवल ईश्वर और उसके लोगों के साथ हमारा रिश्ता ही कब्र से परे रहता है। यदि वह ही स्थायी है, तो हम उसे किसी ऐसी चीज़ से कैसे हटा सकते हैं जो स्थायी नहीं है?
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